Saturday, July 3, 2021

श्री हनुमानाष्टक Hanumanashtak

                                                       श्री हनुमानाष्टक 

बाल समय रवि भक्षी लियो तब,

तीनहुं लोक भयो अंधियारों।

ताहि सों त्रास भयो जग को,

यह संकट काहु सों जात न टारो।

देवन आनि करी बिनती तब,

छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।

को नहीं जानत है जग में कपि,

संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥

 

बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,

जात महाप्रभु पंथ निहारो।

चौंकि महामुनि साप दियो तब,

चाहिए कौन बिचार बिचारो।

कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,

सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥

 

अंगद के संग लेन गए सिय,

खोज कपीस यह बैन उचारो।

जीवत ना बचिहौ हम सो जु,

बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो।

हेरी थके तट सिन्धु सबे तब,

लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥

 

रावण त्रास दई सिय को सब,

राक्षसी सों कही सोक निवारो।

ताहि समय हनुमान महाप्रभु,

जाए महा रजनीचर मरो।

चाहत सीय असोक सों आगि सु,

दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥

 

बान लाग्यो उर लछिमन के तब,

प्राण तजे सूत रावन मारो।

लै गृह बैद्य सुषेन समेत,

तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।

आनि सजीवन हाथ दिए तब,

लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥

 

रावन जुध अजान कियो तब,

नाग कि फाँस सबै सिर डारो।

श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,

मोह भयो यह संकट भारो I

आनि खगेस तबै हनुमान जु,

बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ६ ॥

 

बंधू समेत जबै अहिरावन,

लै रघुनाथ पताल सिधारो।

देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि,

देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो।

जाये सहाए भयो तब ही,

अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ७ ॥

 

काज किये बड़ देवन के तुम,

बीर महाप्रभु देखि बिचारो।

कौन सो संकट मोर गरीब को,

जो तुमसे नहिं जात है टारो।

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,

जो कछु संकट होए हमारो ॥ ८ ॥

 

॥ दोहा ॥

लाल देह लाली लसे,

अरु धरि लाल लंगूर।

वज्र देह दानव दलन,

जय जय जय कपि सूर ॥

श्री. हनुमानजी यांच्याशी संबंधित पीएच.डी प्रबंधनिवडक ग्रंथविडीओजइतर माहिती स्त्रोत

श्री मारुतिस्तोत्रं Marutistrotram

 श्री मारुतिस्तोत्रं

भीमरूपी महारुद्रा, वज्रहनुमान मारुती |

वनारी अंजनीसूता रामदूता प्रभंजना ||||

 

महाबळी प्राणदाता, सकळां उठवी बळें |

सौख्यकारी दुःखहारी, दूत वैष्णव गायका ||||

 

दीननाथा हरीरूपा, सुंदरा जगदांतरा|

 पातालदेवताहंता, भव्यसिंदूरलेपना ||||

 

लोकनाथा जगन्नाथा, प्राणनाथा पुरातना |

 पुण्यवंता पुण्यशीळा, पावना परितोषका ||||

 

ध्वजांगे उचली, बाहो, आवेशें लोटला पुढें |

 काळाग्नी काळरुद्राग्नी, देखतां कांपती भयें ||||

 

ब्रह्मांडे माईली नेणों, आंवळे दंतपंगती |

नेत्राग्नी चालिल्या ज्वाळा, भ्रुकुटी ताठिल्या बळें ||||

 

पुच्छ ते मुरडीले माथा, किरीटी कुंडले बरीं |

सुवर्ण कटी कांसोटी, घंटा किंकिणी नागरा ||||

 

ठकारे पर्वता ऐसा, नेटका सडपातळू |

 चपळांग पाहतां मोठे, महाविद्युल्लतेपरी ||||

 

कोटिच्या कोटि उड्डाणें, झेपावे उत्तरेकडे |

मंद्राद्रीसारिखा द्रोणू, क्रोधें उत्पाटिला बळें ||||

 

आणिला मागुतीं नेला, आला गेला मनोगती |

मनासी टाकिलें मागें, गतीसी तुळणा नसे ||१०||

 

अणूपासोनि ब्रह्मांडाएवढा होत जातसे |

तयासी तुळणा कोठे, मेरु मंदार धाकुटे ||११||

 

ब्रह्मांडाभोवते वेढे, वज्रपुच्छें करू शकें |

तयासी तुळणा कैंची, ब्रह्मांडी पाहता नसे ||१२||

 

आरक्त देखिलें डोळा, ग्रासिले सूर्यमंडळा |

 वाढतां वाढतां वाढें, भेदिले शून्यमंडळा ||१३||

 

धनधान्य पशूवृद्धि, पुत्रपौत्र समग्रही |

पावती रूपविद्यादी, स्तोत्रपाठें करूनियां ||१४||

 

भूतप्रेतसमंधादी, रोगव्याधी समस्तही |

नासती तूटती चिंता, आनंदे भीमदर्शनें ||१५||

 

हे धरा पंधरा श्र्लोकी, लाभली शोभली बरी |

दृढदेहो निसंदेहो, संख्या चन्द्रकळा गुणें ||१६||

 

रामदासी अग्रगण्यू, कपिकुळासि मंडणू |

 रामरूपी अंतरात्मा, दर्शनें दोष नासती ||१७||

 

॥इति श्रीरामदासकृतं संकटनिरसनं मारुतिस्तोत्रं संपूर्णम्॥

श्री. हनुमानजी यांच्याशी संबंधित पीएच.डी प्रबंधनिवडक ग्रंथविडीओजइतर माहिती स्त्रोत

Hanuman Chalisa हनुमान चालीसा

 हनुमान चालीसा

श्री गुरू चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि,

बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥1

 

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार,

बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेस बिकार ॥2


जय हनुमान ज्ञान गुन सागर,

जय कपीस तिहुं लोक उजागर ॥3

 

राम दूत अतुलित बल धामा,

अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥4

 

महावीर बिक्रम बजरंगी,

कुमति निवार सुमति के संगी ॥5

 

कंचन बरन बिराज सुबेसा,

कानन कुंडल कुँचित केसा ॥6

 

हाथ बज्र और ध्वजा बिराजे,

काँधे मूंज जनेऊ साजे ॥7

 

शंकर सुवन केसरी नंदन,

तेज प्रताप महा जगवंदन ॥8

 

विद्यावान गुनि अति चातुर,

राम काज करिबे को आतुर ॥9

 

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया,

राम लखन सीता मन बसिया ॥10

 

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा,

विकट रूप धरि लंक जरावा ॥11

 

भीम रूप धरि असुर सँहारे,

रामचंद्र के काज सवाँरे ॥12

 

लाय संजीवन लखन जियाए,

श्री रघुबीर हरषि उर लाए ॥13

 

रघुपति किन्ही बहुत बड़ाई,

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥14

 

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं,

अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ॥15

 

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा,

नारद सारद सहित अहीसा ॥16

 

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते,

कवि कोविद कहि सकें कहाँ ते ॥17

 

तुम उपकार सुग्रीवहिं किन्हा,

राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥18

 

तुम्हरो मंत्र विभीषन माना,

लंकेश्वर भये सब जग जाना ॥19

 

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू,

लील्यो ताहि मधुर फ़ल जानू ॥20

 

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं,

जलधि लाँघि गए अचरज नाहीं ॥21

 

दुर्गम काज जगत के जेते,

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥22

 

राम दुआरे तुम रखवारे,

होत ना आज्ञा बिनु पैसारे ॥23

 

सब सुख लहै तुम्हारी शरना,

तुम रक्षक काहु को डरना ॥24

 

आपन तेज सम्हारो आपै,

तीनों लोक हाँक तै कांपै ॥25

 

भूत पिशाच निकट नहि आवै,

महाबीर जब नाम सुनावै ॥26

 

नासै रोग हरे सब पीरा,

जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥27

 

संकट तै हनुमान छुडावै,

मन करम वचन ध्यान जो लावै ॥28

 

सब पर राम तपस्वी राजा,

तिन के काज सकल तुम साजा ॥29

 

और मनोरथ जो कोई लावै,

सोइ अमित जीवन फ़ल पावै ॥30

 

चारों जुग परताप तुम्हारा,

है परसिद्ध जगत उजियारा ॥31

 

साधु संत के तुम रखवारे,

असुर निकंदन राम दुलारे ॥32

 

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता,

अस वर दीन्ह जानकी माता ॥33

 

राम रसायन तुम्हरे पासा,

सदा रहो रघुपति के दासा ॥34

 

तुम्हरे भजन राम को पावै,

जनम जनम के दुख बिसरावै ॥35

 

अंतकाल रघुवरपूर जाई,

जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई ॥36

 

और देवता चित्त ना धरई,

हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥37

 

संकट कटै मिटै सब पीरा,

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥38

 

जै जै जै हनुमान गुसाईँ,

कृपा करहु गुरु देव की नाईं ॥39

 

जो सत बार पाठ कर कोई,

छूटइ बंदि महा सुख होई ॥40

 

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा,

होय सिद्धि साखी गौरीसा,

 

तुलसीदास सदा हरि चेरा,

कीजै नाथ ह्रदय महं डेरा,

 

पवन तनय संकट हरण्, मंगल मूरति रूप ॥

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥

श्री. हनुमानजी यांच्याशी संबंधित पीएच.डी प्रबंध, निवडक ग्रंथ, विडीओज, इतर माहिती स्त्रोत


श्री गणपतीची आरती (Shree Ganesh Aaarti)

  श्री गणपतीची आरती  सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची  |  नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची  |  सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची  |  कंठी झळके माळ म...