Saturday, April 1, 2023

श्री गणपतीची आरती (Shree Ganesh Aaarti)

 श्री गणपतीची आरती 

सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची | नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची | सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची | कंठी झळके माळ मुक्ताफळाची |||| जय देव जय देव जय मंगलमुर्ती | दर्शनमात्रे मनकामना पुरती ||धृ.|| रत्नखचित फरा तुज गौरीकुमरा | चंदनाची उटी कुंकुमकेशरा | हिरेजडीत मुगुट शोभतो बरा | रुणझुणती नुपुरे चरणी घागरिया ||जयo|||| लंबोदर पीतांबर फणिवरबंधना | सरळ सोंड वक्रतुंड त्रिनयना दास रामाचा वाट पाहे सदना | संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवरवंदना | जय देव जय देव जय मंगलमुर्ती दर्शनमात्रे मनकामना पुरती ||||

हनुमान चिंतन (Hanuman Chintan)

 

हनुमान चिंतन 


मनोजवं मारुततुल्य वेगं जितेन्द्र्यं बुद्धिमंता वरिष्ठम 

वातात्मजं वानारयूथ मुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपदे 


ओम दाशरथाय विद्महे सितावल्लभाय धीमही तन्नो रामः प्रचोदयात  

ओम अंजनीजाय विद्महे वायुपुत्राय धीमही तन्नो हनुमान प्रचोदयात │ ( मंत्रमहा गायत्री-तंत्र )  


तव श्रिये मरुतो मर्जयन्त रुद्र यत ते जनिम चारू चित्रम 

पदं यद्म विष्णोरुपम निधायी तेन पासि गुह्म नाम गोनाम ( ऋक सहिंता  ५ │३ │ ३ )



आरती श्री हनुमानजी की ( Aarati Shri Hanumanji ki)

 

॥ आरती श्री हनुमानजी ॥

आरती कीजै हनुमान लला की।दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥

 

जाके बल से गिरिवर कांपे।रोग दोष जाके निकट न झांके॥

 

अंजनि पुत्र महा बलदाई।सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥

 

दे बीरा रघुनाथ पठाए।लंका जारि सिया सुधि लाए॥

 

लंका सो कोट समुद्र-सी खाई।जात पवनसुत बार न लाई॥

 

लंका जारि असुर संहारे।सियारामजी के काज सवारे॥

 

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।आनि संजीवन प्राण उबारे॥

 

पैठि पाताल तोरि जम-कारे।अहिरावण की भुजा उखारे॥

 

बाएं भुजा असुरदल मारे।दाहिने भुजा संतजन तारे॥

 

सुर नर मुनि आरती उतारें।जय जय जय हनुमान उचारें॥

 

कंचन थार कपूर लौ छाई।आरती करत अंजना माई॥

 

जो हनुमानजी की आरती गावे।बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥

श्री बजरंग-बाण ( Shri Bajarang Ban)

 

 श्री बजरंग-बाण

दोहा :

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।

तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

चौपाई :

जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥

जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥

जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥

आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥

जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥

बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥

अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥

लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥

अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥

जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥

जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥

ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥

ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥

जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥

बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥

भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥

इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥

सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥

जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥

पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥

बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥

जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥

जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥

चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥

उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥

ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥

ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥

अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥

यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥

पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥

यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥

धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥

 

दोहा :

उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।

बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥

श्री गणपतीची आरती (Shree Ganesh Aaarti)

  श्री गणपतीची आरती  सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची  |  नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची  |  सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची  |  कंठी झळके माळ म...